न मे मानापमानौ स्तो न चिन्ता गेहपुत्रिणाम् ।
आत्मक्रीड आत्मरतिर्विचरामीह बालवत् ॥ ३ ॥
अनुवाद
पारिवारिक जीवन में माता-पिता हमेशा अपने घर, बच्चों और प्रतिष्ठा की चिंता में रहते हैं। लेकिन मुझे इन चीज़ों से कोई मतलब नहीं है। मैं किसी परिवार के लिए चिंता नहीं करता या मान-अपमान की परवाह नहीं करता। मैं केवल आत्म-जीवन का आनंद लेता हूं और आध्यात्मिक स्तर पर प्रेम पाता हूं। इस तरह मैं एक बच्चे की तरह दुनिया में घूमता रहता हूं।