मन एकत्र संयुञ्ज्याज्जितश्वासो जितासन: ।
वैराग्याभ्यासयोगेन ध्रियमाणमतन्द्रित: ॥ ११ ॥
अनुवाद
योगासनों में पूर्णता प्राप्त कर और श्वास-क्रिया पर नियंत्रण हासिल कर लेने के बाद, व्यक्ति को चाहिए कि वह वैराग्य और नियमित योगाभ्यास के माध्यम से मन को स्थिर करे। इस तरह व्यक्ति को केवल योगाभ्यास के उद्देश्य पर ही सावधानी से मन को स्थिर करना चाहिए।