श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 11: सामान्य इतिहास  »  अध्याय 9: पूर्ण वैराग्य  »  श्लोक 10
 
 
श्लोक  11.9.10 
 
 
वासे बहूनां कलहो भवेद् वार्ता द्वयोरपि ।
एक एव वसेत्तस्मात् कुमार्या इव कङ्कण: ॥ १० ॥
 
अनुवाद
 
  जब एक ही स्थान पर अनेक लोग एक साथ रहते हैं, तो उनमें आपस में झगड़े होना निश्चित है। यहाँ तक कि अगर केवल दो लोग ही एक साथ रहें तब भी उनके बीच अधिक बातचीत होगी और मतभेद होंगे। इसलिए, झगड़ों से बचने के लिए मनुष्य को अकेले रहना चाहिए। जैसा कि हम लड़की की चूड़ी के दृष्टांत से सीखते हैं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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