श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 11: सामान्य इतिहास  »  अध्याय 8: पिंगला की कथा  »  श्लोक 3
 
 
श्लोक  11.8.3 
 
 
शयीताहानि भूरीणि निराहारोऽनुपक्रम: ।
यदि नोपनयेद् ग्रासो महाहिरिव दिष्टभुक् ॥ ३ ॥
 
अनुवाद
 
  यदि कभी भी भोजन न मिले, तो साधु को चाहिए कि बिना प्रयास किये अनेक दिनों तक उपवास रखे। उसे समझना चाहिए कि ईश्वर की यही इच्छा है कि उसे उपवास रखना चाहिए। इस प्रकार अजगर के उदाहरण का अनुसरण करते हुए उसे शांत और धैर्यवान बने रहना चाहिए।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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