श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 11: सामान्य इतिहास  »  अध्याय 7: भगवान् कृष्ण द्वारा उद्धव को उपदेश  »  श्लोक 9
 
 
श्लोक  11.7.9 
 
 
तस्माद् युक्तेन्द्रियग्रामो युक्तचित्त इदम् जगत् ।
आत्मनीक्षस्व विततमात्मानं मय्यधीश्वरे ॥ ९ ॥
 
अनुवाद
 
  इसलिए अपनी सारी इन्द्रियों को अपने नियन्त्रण में रखते हुए, मन को वश में करके, सारे संसार को आत्मा के अन्दर स्थित देखो, जो सब जगह व्याप्त है। यही नहीं, तुम इस जीव को मुझ सर्वोच्च भगवान में भी देखो।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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