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श्लोक 3
श्लोक
11.7.3
कुलं वै शापनिर्दग्धं नङ्क्ष्यत्यन्योन्यविग्रहात् ।
समुद्र: सप्तमे ह्येनां पुरीं च प्लावयिष्यति ॥ ३ ॥
अनुवाद
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अब ब्राह्मणों के शाप से ये यदुवंश निश्चित ही आपस में झगड़ कर समाप्त हो जाएगा और आज से सातवें दिन ये समुद्र उमड़कर इस द्वारका नगरी को डुबो देगा।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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