श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 11: सामान्य इतिहास  »  अध्याय 7: भगवान् कृष्ण द्वारा उद्धव को उपदेश  »  श्लोक 14
 
 
श्लोक  11.7.14 
 
 
श्रीउद्धव उवाच
योगेश योगविन्यास योगात्मन् योगसम्भव ।
नि:श्रेयसाय मे प्रोक्तस्त्याग: सन्न्यासलक्षण: ॥ १४ ॥
 
अनुवाद
 
  श्री उद्धव ने कहा: हे प्रभो, आप ही योगाभ्यास के फल प्रदान करते हैं और आप इतने दयालु हैं कि अपने प्रभाव से आप अपने भक्त को योगसिद्धि वितरित करते हैं। इस प्रकार, आप सर्वोच्च आत्मा हैं जिन्हें योग द्वारा जाना जा सकता है और आप ही सभी रहस्यमयी शक्तियों के मूल हैं। मेरे परम लाभ के लिए, आपने संन्यास या वैराग्य की प्रक्रिया के माध्यम से भौतिक दुनिया को त्यागने की विधि बताई है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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