सर्वभूतसुहृच्छान्तो ज्ञानविज्ञाननिश्चय: ।
पश्यन् मदात्मकं विश्वं न विपद्येत वै पुन: ॥ १२ ॥
अनुवाद
जो व्यक्ति सभी जीवों का कल्याण चाहता है, जो शांत है और ज्ञान और बोध में दृढ़ता से स्थिर है, वह सभी वस्तुओं को मुझमें देखता है। ऐसा व्यक्ति फिर से जन्म-मृत्यु के चक्र में कभी नहीं फंसता।