श्रीराजोवाच
यानि यानीह कर्माणि यैर्यै: स्वच्छन्दजन्मभि: ।
चक्रे करोति कर्ता वा हरिस्तानि ब्रुवन्तु न: ॥ १ ॥
अनुवाद
राजा निमि ने कहा: भगवान् अपनी आन्तरिक शक्ति से और अपनी इच्छानुसार भौतिक संसार में अवतार लेते हैं। इसलिए, आप हमें भगवान् हरि की उन विभिन्न लीलाओं के बारे में बताएं, जिन्हें उन्होंने अतीत में पूरा किया, वर्तमान में कर रहे हैं और आने वाले समय में अपने विभिन्न अवतारों में पूरी करेंगे।