श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 11: सामान्य इतिहास  »  अध्याय 31: भगवान् श्रीकृष्ण का अंतर्धान होना  »  श्लोक 7
 
 
श्लोक  11.31.7 
 
 
दिवि दुन्दुभयो नेदु: पेतु: सुमनसश्च खात् ।
सत्यं धर्मो धृतिर्भूमे: कीर्ति: श्रीश्चानु तं ययु: ॥ ७ ॥
 
अनुवाद
 
  जैसे ही भगवान श्रीकृष्ण ने पृथ्वी को छोड़ा, तुरंत सत्य, धर्म, धैर्य, कीर्ति और सौंदर्य उनके पीछे हो लिए। स्वर्ग में ढोलकियाँ बजने लगीं और आकाश से फूलों की वर्षा होने लगी।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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