श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 11: सामान्य इतिहास  »  अध्याय 31: भगवान् श्रीकृष्ण का अंतर्धान होना  »  श्लोक 5
 
 
श्लोक  11.31.5 
 
 
भगवान् पितामहं वीक्ष्य विभूतीरात्मनो विभु: ।
संयोज्यात्मनि चात्मानं पद्मनेत्रे न्यमीलयत् ॥ ५ ॥
 
अनुवाद
 
  अपने विस्तार, ब्रह्मा जी और दूसरे देवताओं को अपने सामने देखकर सर्वशक्तिमान प्रभु ने अपने कमल से नेत्र बंद कर लिए और अपना चित्त अपने में स्थिर किया।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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