श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 11: सामान्य इतिहास  »  अध्याय 30: यदुवंश का संहार  »  श्लोक 4
 
 
श्लोक  11.30.4 
 
 
श्री ऋषिरुवाच
दिवि भुव्यन्तरिक्षे च महोत्पातान् समुत्थितान् ।
द‍ृष्ट्वासीनान् सुधर्मायां कृष्ण: प्राह यदूनिदम् ॥ ४ ॥
 
अनुवाद
 
  शुकदेव गोस्वामी ने कहा : आकाश, पृथ्वी और बाहरी अंतरिक्ष में कई अशुभ लक्षणों को देखकर भगवान कृष्ण ने सुधर्मा नामक सभा भवन में एकत्र यदुओं से इस प्रकार कहा।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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