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अध्याय 30: यदुवंश का संहार
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श्लोक 10
श्लोक
11.30.10
इति सर्वे समाकर्ण्य यदुवृद्धा मधुद्विष: ।
तथेति नौभिरुत्तीर्य प्रभासं प्रययू रथै: ॥ १० ॥
अनुवाद
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मधु के शत्रु भगवान कृष्ण के मुख से ये वचन सुन यदुवंश के बड़े-बुजुर्गों ने अपनी सहमति "तथास्तु" कह कर जता दी | नावों से समुद्र को पार कर वे रथों द्वारा प्रभास की ओर बढ़ चले |
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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