श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 11: सामान्य इतिहास  »  अध्याय 3: माया से मुक्ति  »  श्लोक 9
 
 
श्लोक  11.3.9 
 
 
शतवर्षा ह्यनावृष्टिर्भविष्यत्युल्बणा भुवि ।
तत्कालोपचितोष्णार्को लोकांस्त्रीन्प्रतपिष्यति ॥ ९ ॥
 
अनुवाद
 
  ज्यों-ज्यों विश्व का विनाश नज़दीक आता है, पृथ्वी पर सौ साल का भीषण सूखा पड़ता है। सूरज की गर्मी लगातार सौ साल तक बढ़ती जाती है और इसकी प्रचंड गर्मी तीनों लोकों को परेशान करने लगती है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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