वैदिक ज्ञान के नियमों का पालन करते हुए और उनके अनुसार कर्म करते हुए, एवं कर्मों के फल भगवान् को समर्पित करते हुए मनुष्य कर्म बंधनों से मुक्ति प्राप्त कर सकता है। वेदों में वर्णित कर्मफल वैदिक ज्ञान का चरम लक्ष्य नहीं है, बल्कि कर्ता में रुचि उत्पन्न करने के लिए हैं।