राजा निमि बोले : हे मुनियो, कृपया हमें कर्मयोग करने की विधि के बारे में बताएँ। परम पुरुष को अपने व्यावहारिक कार्यों को अर्पण करने की इस विधि से शुद्ध होकर कोई भी इंसान इस दुनिया में ही खुद को सभी भौतिक गतिविधियों से मुक्त कर सकता है और दिव्य पद में शुद्ध जीवन का आनंद ले सकता है।