एषा माया भगवत: सर्गस्थित्यन्तकारिणी ।
त्रिवर्णा वर्णितास्माभि: किं भूय: श्रोतुमिच्छसि ॥ १६ ॥
अनुवाद
मैंने माया का वर्णन किया है, जो भगवान की मोहिनी शक्ति है। यह माया तीनों गुणों से युक्त है और भगवान के द्वारा ब्रह्मांड के निर्माण, पालन व विनाश के लिए शक्ति दी गई है। अब तुम क्या और सुनना चाहते हो?