श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 11: सामान्य इतिहास  »  अध्याय 27: देवपूजा विषयक श्रीकृष्ण के आदेश  »  श्लोक 2
 
 
श्लोक  11.27.2 
 
 
एतद् वदन्ति मुनयो मुहुर्नि:श्रेयसं नृणाम् ।
नारदो भगवान् व्यास आचार्योऽङ्गिरस: सुत: ॥ २ ॥
 
अनुवाद
 
  सभी महान ऋषि बार-बार घोषणा करते हैं कि ऐसी पूजा से मनुष्य जीवन में सबसे बड़ा संभव लाभ मिलता है। यही नारद मुनि, महान व्यासदेव और मेरे स्वयं के गुरु, बृहस्पति का मत है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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