श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 11: सामान्य इतिहास  »  अध्याय 27: देवपूजा विषयक श्रीकृष्ण के आदेश  »  श्लोक 1
 
 
श्लोक  11.27.1 
 
 
श्रीउद्धव उवाच
क्रियायोगं समाचक्ष्व भवदाराधनं प्रभो ।
यस्मात्त्वां ये यथार्चन्ति सात्वता: सात्वतर्षभ ॥ १ ॥
 
अनुवाद
 
  श्री उद्धव ने कहा: प्रभु जी, हे भक्तों के स्वामी, आप कृपा करके मुझे अपनी मूर्ति रूप में पूजा करने का विधान बताइये। मूर्ति की पूजा करने वाले भक्तों में कौन-कौन से गुण होते हैं? ऐसी पूजा किस आधार पर की जाती है? और पूजा करने की विशेष विधि क्या है?
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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