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श्लोक 31
श्लोक
11.26.31
यथोपश्रयमाणस्य भगवन्तं विभावसुम् ।
शीतं भयं तमोऽप्येति साधून् संसेवतस्तथा ॥ ३१ ॥
अनुवाद
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जैसे किसी यज्ञ की अग्नि के पास पहुँचने पर व्यक्ति शीत, भय और अंधेरे से दूर हो जाता है, उसी प्रकार भगवान के भक्तों की सेवा में लगा रहने वाला व्यक्ति आलस्य, भय और अज्ञान से दूर हो जाता है।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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