श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 11: सामान्य इतिहास  »  अध्याय 26: ऐल-गीत  »  श्लोक 3
 
 
श्लोक  11.26.3 
 
 
सङ्गं न कुर्यादसतां शिश्न‍ोदरतृपां क्व‍‍चित् ।
तस्यानुगस्तमस्यन्धे पतत्यन्धानुगान्धवत् ॥ ३ ॥
 
अनुवाद
 
  कोई भी व्यक्ति कभी भी उन भौतिकवादियों की संगति न करें जो अपने जननांग और पेट की तृप्ति में लगे रहते हैं। उनका अनुसरण करने से व्यक्ति अंधेरे के गहरे गड्ढे में गिर जाता है, ठीक वैसे ही जैसे एक अंधा व्यक्ति दूसरे अंधे व्यक्ति की अनुसरण करता है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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