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श्लोक 20
श्लोक
11.24.20
सर्गः प्रवर्तते तावत् पौर्वापर्येण नित्यशः ।
महान् गुणविसर्गार्थः स्थित्यन्तो यावदीक्षणम् ॥ २० ॥
अनुवाद
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जब तक ईश्वर प्रकृति पर अपनी दृष्टि बनाए रखते हैं, तब तक भौतिक संसार सतत विद्यमान रहता है। प्रकृति प्रजनन के माध्यम से निरंतर सृजन की महान और विविधतापूर्ण धारा को प्रकट करती रहती है।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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