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श्लोक 14
श्लोक
11.24.14
योगस्य तपसश्चैव न्यासस्य गतयोऽमलाः ।
महर्जनस्तपः सत्यं भक्तियोगस्य मद्गतिः ॥ १४ ॥
अनुवाद
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योग, कठोर तप और संन्यासी जीवन से महर्लोक, जनोलोक, तपोलोक और सत्यलोक के शुद्ध स्थान प्राप्त होते हैं। पर भक्ति योग से मेरा दिव्य धाम प्राप्त होता है।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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