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स्कन्ध 11: सामान्य इतिहास
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अध्याय 23: अवन्ती ब्राह्मण का गीत
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श्लोक 6
श्लोक
11.23.6
अवन्तिषु द्विज: कश्चिदासीदाढ्यतम: श्रिया ।
वार्तावृत्ति: कदर्यस्तु कामी लुब्धोऽतिकोपन: ॥ ६ ॥
अनुवाद
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अवन्ती देश में एक समय एक ब्राह्मण निवास करता था। वह अत्यन्त धनवान था और समस्त ऐश्वर्यों से युक्त था। वह व्यापार-कार्य में लगा रहता था। परन्तु वह बहुत ही कंजूस, कामी, लालची और क्रोधी स्वभाव का था।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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