स चाहेदमहो कष्टं वृथात्मा मेऽनुतापित: ।
न धर्माय न कामाय यस्यार्थायास ईदृश: ॥ १४ ॥
अनुवाद
ब्राह्मण इस प्रकार बोला: हाय! क्या बदकिस्मती है मेरी! जो धन न धर्म के लिए था और न ही सांसारिक सुखों के लिए, उसके लिए मैंने इतनी मेहनत करके अपने आपको बेकार में सताया।