श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 11: सामान्य इतिहास  »  अध्याय 23: अवन्ती ब्राह्मण का गीत  »  श्लोक 14
 
 
श्लोक  11.23.14 
 
 
स चाहेदमहो कष्टं वृथात्मा मेऽनुतापित: ।
न धर्माय न कामाय यस्यार्थायास ईद‍ृश: ॥ १४ ॥
 
अनुवाद
 
  ब्राह्मण इस प्रकार बोला: हाय! क्या बदकिस्मती है मेरी! जो धन न धर्म के लिए था और न ही सांसारिक सुखों के लिए, उसके लिए मैंने इतनी मेहनत करके अपने आपको बेकार में सताया।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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