परस्परानुप्रवेशात् तत्त्वानां पुरुषर्षभ ।
पौर्वापर्यप्रसङ्ख्यानं यथा वक्तुर्विवक्षितम् ॥ ७ ॥
अनुवाद
हे पुरुषों में श्रेष्ठ, चूँकि सूक्ष्म तथा स्थूल तत्त्व एक-दूसरे में गुँथ जाते हैं, इसीलिए दार्शनिक अपनी-अपनी इच्छानुसार विभिन्न प्रकारों से मूलभूत भौतिक तत्त्वों की गणना कर सकते हैं।