श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 11: सामान्य इतिहास  »  अध्याय 22: भौतिक सृष्टि के तत्त्वों की गणना  »  श्लोक 43
 
 
श्लोक  11.22.43 
 
 
नित्यदा ह्यङ्ग भूतानि भवन्ति न भवन्ति च ।
कालेनालक्ष्यवेगेन सूक्ष्मत्वात्तन्न द‍ृश्यते ॥ ४३ ॥
 
अनुवाद
 
  हे उद्धव, काल के अत्यंत वेग से भौतिक शरीरों की सतत उत्पत्ति और विनाश की प्रक्रिया चलती रहती है। परंतु काल की सूक्ष्मता के कारण कोई इसे देख नहीं पाता।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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