श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 11: सामान्य इतिहास  »  अध्याय 22: भौतिक सृष्टि के तत्त्वों की गणना  »  श्लोक 4
 
 
श्लोक  11.22.4 
 
 
श्रीभगवानुवाच
युक्तं च सन्ति सर्वत्र भाषन्ते ब्राह्मणा यथा ।
मायां मदीयामुद्गृह्य वदतां किं नु दुर्घटम् ॥ ४ ॥
 
अनुवाद
 
  भगवान कृष्ण ने उत्तर दिया: चूँकि सारे तत्त्व हर जगह उपस्थित रहते हैं इसलिए यह उचित ही है कि विभिन्न विद्वान ब्राह्मणों ने उनकी व्याख्या भिन्न-भिन्न विधियों से की है। ऐसे सभी दार्शनिकों ने मेरी चमत्कारिक शक्ति के आश्रय में ही ऐसा कहा है, अतः वे सत्य का खण्डन किये बिना कुछ भी कह सकते हैं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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