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श्लोक 14
श्लोक
11.22.14
पुरुष: प्रकृतिर्व्यक्तमहङ्कारो नभोऽनिल: ।
ज्योतिराप: क्षितिरिति तत्त्वान्युक्तानि मे नव ॥ १४ ॥
अनुवाद
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मैंने नौ मूल तत्वों का वर्णन भोक्ता आत्मा, प्रकृति, महत् तत्व की आदि अभिव्यक्ति, मिथ्या अहंकार, आकाश, वायु, अग्नि, जल और पृथ्वी के रूप में किया है।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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