श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 11: सामान्य इतिहास  »  अध्याय 22: भौतिक सृष्टि के तत्त्वों की गणना  »  श्लोक 13
 
 
श्लोक  11.22.13 
 
 
सत्त्वं ज्ञानं रज: कर्म तमोऽज्ञानमिहोच्यते ।
गुणव्यतिकर: काल: स्वभाव: सूत्रमेव च ॥ १३ ॥
 
अनुवाद
 
  इस संसार में सतोगुण को ज्ञान, रजोगुण को काम के लिए कर्म करने की इच्छा और तमोगुण को अज्ञानता माना जाता है। समय को भौतिक गुणों की अशांत अंतःक्रिया के रूप में देखा जाता है और सभी कार्य करने की प्रवृत्ति आदि सूत्र या महत्-तत्व से होती है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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