श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 11: सामान्य इतिहास  »  अध्याय 21: भगवान् कृष्ण द्वारा वैदिक पथ की व्याख्या  »  श्लोक 17
 
 
श्लोक  11.21.17 
 
 
समानकर्माचरणं पतितानां न पातकम् ।
औत्पत्तिको गुण: सङ्गो न शयान: पतत्यध: ॥ १७ ॥
 
अनुवाद
 
  जो कर्म एक उच्च व्यक्ति को नीचे गिरा देते हैं, वही कर्म उस व्यक्ति को नीचे नहीं गिराते जो पहले से ही गिर (पतित) चुका हो। निःसंदेह, जो व्यक्ति पहले से ही जमीन पर लेटा हुआ है, वह और नीचे कैसे गिर सकता है? वह भौतिक संगति जोकि स्वयं मनुष्य के स्वभाव द्वारा अनिवार्य होती है, उसे सद्गुण माना जाता है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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