श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 11: सामान्य इतिहास  »  अध्याय 20: शुद्ध भक्ति ज्ञान एवं वैराग्य से आगे निकल जाती है  »  श्लोक 19
 
 
श्लोक  11.20.19 
 
 
धार्यमाणं मनो यर्हि भ्राम्यदश्वनवस्थितम् ।
अतन्द्रितोऽनुरोधेन मार्गेणात्मवशं नयेत् ॥ १९ ॥
 
अनुवाद
 
  जब भी मन आध्यात्मिक स्तर पर एकाग्रित होकर अचानक अपनी आध्यात्मिक स्थिति से भटक जाए, तो व्यक्ति को चाहिए कि वह सावधानी से निर्धारित उपायों के द्वारा उसे अपने नियंत्रण में ले आए।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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