अहं किल पुरानन्तं प्रजार्थो भुवि मुक्तिदम् ।
अपूजयं न मोक्षाय मोहितो देवमायया ॥ ८ ॥
अनुवाद
अपने इस पृथ्वी पर पूर्वजन्म में भी मैंने केवल मुक्ति देने वाले भगवान अनंत की उपासना की थी, परंतु मैं सन्तान का इच्छुक था इसलिए मैंने उनकी पूजा मुक्ति के लिए नहीं की थी। इस प्रकार मैं भगवान् की माया के प्रभाव से मोहग्रस्त हो गया था।