श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 11: सामान्य इतिहास  »  अध्याय 2: नौ योगेन्द्रों से महाराज निमि की भेंट  »  श्लोक 24
 
 
श्लोक  11.2.24 
 
 
त एकदा निमे: सत्रमुपजग्मुर्यद‍ृच्छया ।
वितायमानमृषिभिरजनाभे महात्मन: ॥ २४ ॥
 
अनुवाद
 
  एक समय की बात है जब वे अजनाभ (पृथ्वी का पूर्व नाम) में महाराज निमि के यज्ञ में गए थे। यह यज्ञ महर्षियों के निर्देशन में संपन्न किया जा रहा था।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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