श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 11: सामान्य इतिहास  »  अध्याय 2: नौ योगेन्द्रों से महाराज निमि की भेंट  »  श्लोक 20-21
 
 
श्लोक  11.2.20-21 
 
 
नवाभवन् महाभागा मुनयो ह्यर्थशंसिन: ।
श्रमणा वातरसना आत्मविद्याविशारदा: ॥ २० ॥
कविर्हविरन्तरीक्ष: प्रबुद्ध: पिप्पलायन: ।
आविर्होत्रोऽथ द्रुमिलश्चमस: करभाजन: ॥ २१ ॥
 
अनुवाद
 
  ऋषभदेव के अन्य नौ पुत्र भी बहुत भाग्यशाली मुनि थे, जिन्होंने परम सत्य के ज्ञान को फैलाने के लिए कड़ा परिश्रम किया। वे निर्वस्त्र ही इधर-उधर विचरण करते थे और आध्यात्मिक विज्ञान में बहुत ही निपुण थे। उनके नाम थे - कवि, हविर्, अन्तरीक्ष, प्रबुद्ध, पिप्पलायन, आविर्होत्र, द्रुमिल, चमस और करभाजन।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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