तमाहुर्वासुदेवांशं मोक्षधर्मविवक्षया ।
अवतीर्णं सुतशतं तस्यासीद् ब्रह्मपारगम् ॥ १६ ॥
अनुवाद
श्री ऋषभदेव को भगवान वासुदेव के अंश के रूप में माना जाता है। इस दुनिया में उन्होंने उन धार्मिक सिद्धांतों का प्रसार करने के लिए अवतार लिया था जिससे जीवों को पूर्ण मुक्ति प्राप्त हो सकती है। उनके एक सौ पुत्र थे जो सभी वैदिक ज्ञान के विशेषज्ञ थे।