श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 11: सामान्य इतिहास  »  अध्याय 19: आध्यात्मिक ज्ञान की सिद्धि  »  श्लोक 17
 
 
श्लोक  11.19.17 
 
 
श्रुति: प्रत्यक्षमैतिह्यमनुमानं चतुष्टयम् ।
प्रमाणेष्वनवस्थानाद् विकल्पात् स विरज्यते ॥ १७ ॥
 
अनुवाद
 
  वैदिक ज्ञान, प्रत्यक्ष अनुभव, परम्परागत विद्या और तार्किक अनुमान इन चार प्रमाणों द्वारा व्यक्ति भौतिक जगत की क्षणभंगुर और असार प्रकृति को समझकर इस संसार की द्वैतता से विरक्त हो जाता है।
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.