श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 11: सामान्य इतिहास  »  अध्याय 18: वर्णाश्रम धर्म का वर्णन  »  श्लोक 5
 
 
श्लोक  11.18.5 
 
 
अग्निपक्वं समश्न‍ीयात् कालपक्व‍मथापि वा ।
उलूखलाश्मकुट्टो वा दन्तोलूखल एव वा ॥ ५ ॥
 
अनुवाद
 
  वह व्यक्ति आग पर बने अन्न या फिर समय के साथ पके हुए फलों को भोजन के तौर पर ले सकता है। इसके साथ ही वह अपने भोजन को या तो बट्टे से पीसकर खा सकता है या फिर अपने दाँतों से चबाकर खा सकता है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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