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श्लोक 21
श्लोक
11.18.21
विविक्तक्षेमशरणो मद्भावविमलाशय: ।
आत्मानं चिन्तयेदेकमभेदेन मया मुनि: ॥ २१ ॥
अनुवाद
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एक सुरक्षित और अलग-थलग जगह में रहकर अपने मन को मेरे निरंतर ध्यान से पवित्र रखना चाहिए और आत्मा में ही अपना एकाग्र करना चाहिए, क्योंकि यह आत्मा मुझसे अलग नहीं है।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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