श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 11: सामान्य इतिहास  »  अध्याय 18: वर्णाश्रम धर्म का वर्णन  »  श्लोक 16
 
 
श्लोक  11.18.16 
 
 
द‍ृष्टिपूतं न्यसेत् पादं वस्‍त्रपूतं पिबेज्जलम् ।
सत्यपूतां वदेद् वाचं मन:पूतं समाचरेत् ॥ १६ ॥
 
अनुवाद
 
  संत को चाहिए कि चलने से पहले वह अपनी आँखों से यह निश्चित कर ले कि कहीं कोई जीव या कीट तो नहीं है, ताकि वह उसे अपने पैर से कुचल न दे। उसे कपड़े के एक कोने से छानकर ही जल पीना चाहिए और ऐसे शब्द बोलने चाहिए जिनमें सच्चाई की शुद्धता हो। इसी प्रकार, उसे वही कर्म करने चाहिए जिन्हें उसका मन शुद्ध निश्चित कर चुका हो।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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