श्रीशुक उवाच
इत्थं स्वभृत्यमुख्येन पृष्ट: स भगवान् हरि: ।
प्रीत: क्षेमाय मर्त्यानां धर्मानाह सनातनान् ॥ ८ ॥
अनुवाद
श्री शुकदेव गोस्वामी ने कहा : जब भक्तों में श्रेष्ठ, श्री उद्धव ने इस प्रकार भगवान से प्रश्न किया, तो उनके इस प्रश्न को सुनकर भगवान श्रीकृष्ण प्रसन्न हुए और उन्होंने समस्त संसार में बंधे हुए जीवों के कल्याण के लिए उन धार्मिक नियमों को बताया जो शाश्वत हैं।