श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 11: सामान्य इतिहास  »  अध्याय 17: भगवान् कृष्ण द्वारा वर्णाश्रम प्रणाली का वर्णन  »  श्लोक 30
 
 
श्लोक  11.17.30 
 
 
एवंवृत्तो गुरुकुले वसेद् भोगविवर्जित: ।
विद्या समाप्यते यावद् बिभ्रद् व्रतमखण्डितम् ॥ ३० ॥
 
अनुवाद
 
  जब तक विद्यार्थी अपनी वैदिक शिक्षा पूर्ण न कर ले, उसे गुरु के आश्रम में कार्यरत रहना चाहिए, उसे इन्द्रियतृप्ति से पूर्णतया मुक्त रहना चाहिए और उसे अपना ब्रह्मचर्य व्रत नहीं तोडऩा चाहिए।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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