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अध्याय 17: भगवान् कृष्ण द्वारा वर्णाश्रम प्रणाली का वर्णन
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श्लोक 21
श्लोक
11.17.21
अहिंसा सत्यमस्तेयमकामक्रोधलोभता ।
भूतप्रियहितेहा च धर्मोऽयं सार्ववर्णिक: ॥ २१ ॥
अनुवाद
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अहिंसा, सच्चाई, ईमानदारी, अन्य लोगों की खुशी और भलाई की इच्छा और काम, क्रोध और लालच से मुक्ति - ये सभी समाज के हर सदस्य के लिए ज़रूरी हैं।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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