श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 11: सामान्य इतिहास  »  अध्याय 17: भगवान् कृष्ण द्वारा वर्णाश्रम प्रणाली का वर्णन  »  श्लोक 13
 
 
श्लोक  11.17.13 
 
 
विप्रक्षत्रियविट्‍शूद्रा मुखबाहूरुपादजा: ।
वैराजात् पुरुषाज्जाता य आत्माचारलक्षणा: ॥ १३ ॥
 
अनुवाद
 
  त्रेता युग में भगवान के विराट स्वरुप के अनुसार चार जातियां उत्पन्न हुईं। ब्राह्मण भगवान के मुंह से, क्षत्रिय भगवान की भुजाओं से, वैश्य भगवान की जंघा से और शूद्र उस विराट रूप के पैरों से प्रकट हुए। प्रत्येक सामाजिक वर्ग को इसके विशिष्ट कर्तव्यों और व्यवहार से पहचाना जाता था।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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