श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 11: सामान्य इतिहास  »  अध्याय 16: भगवान् की विभूतियाँ  »  श्लोक 31
 
 
श्लोक  11.16.31 
 
 
व्यवसायिनामहं लक्ष्मी: कितवानां छलग्रह: ।
तितिक्षास्मि तितिक्षूणां सत्त्वं सत्त्ववतामहम् ॥ ३१ ॥
 
अनुवाद
 
  व्यापार करने वालों में मैं लक्ष्मी हूँ और छल-कपट करने वालों में मैं जुआ (द्यूत क्रीड़ा) हूँ। सहने वाले व्यक्तियों में मैं क्षमाशीलता और सद्गुणों वाले लोगों में मैं सद्गुण हूँ।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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