वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् भागवतम
»
स्कन्ध 11: सामान्य इतिहास
»
अध्याय 16: भगवान् की विभूतियाँ
»
श्लोक 31
श्लोक
11.16.31
व्यवसायिनामहं लक्ष्मी: कितवानां छलग्रह: ।
तितिक्षास्मि तितिक्षूणां सत्त्वं सत्त्ववतामहम् ॥ ३१ ॥
अनुवाद
play_arrowpause
व्यापार करने वालों में मैं लक्ष्मी हूँ और छल-कपट करने वालों में मैं जुआ (द्यूत क्रीड़ा) हूँ। सहने वाले व्यक्तियों में मैं क्षमाशीलता और सद्गुणों वाले लोगों में मैं सद्गुण हूँ।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.