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श्लोक 30
श्लोक
11.16.30
रत्नानां पद्मरागोऽस्मि पद्मकोश: सुपेशसाम् ।
कुशोऽस्मि दर्भजातीनां गव्यमाज्यं हवि:ष्वहम् ॥ ३० ॥
अनुवाद
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रत्नों में मैं मणि हूं और सुंदर वस्तुओं में मैं कमल का फूल हूं। सब प्रकार की घासों में मैं पवित्र कुश हूं और आहुतियों में घी तथा गाय से प्राप्त होने वाली सामग्री हूं।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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