श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 11: सामान्य इतिहास  »  अध्याय 16: भगवान् की विभूतियाँ  »  श्लोक 27
 
 
श्लोक  11.16.27 
 
 
संवत्सरोऽस्म्यनिमिषामृतूनां मधुमाधवौ ।
मासानां मार्गशीर्षोऽहं नक्षत्राणां तथाभिजित् ॥ २७ ॥
 
अनुवाद
 
  समय के सतर्क चक्रों में मैं वर्ष हूँ और ऋतुओं में वसंत हूँ। महीनों में मैं मार्गशीर्ष और नक्षत्रों में शुभ अभिजित हूँ।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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