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श्रीमद् भागवतम
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श्लोक 19
श्लोक
11.16.19
नागेन्द्राणामनन्तोऽहं मृगेन्द्र: शृङ्गिदंष्ट्रिणाम् ।
आश्रमाणामहं तुर्यो वर्णानां प्रथमोऽनघ ॥ १९ ॥
अनुवाद
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हे पापरहित उद्धव, सर्वश्रेष्ठ सर्पों में मैं अनन्तदेव हूँ, और पैने सींगों या दाँतों वाले पशुओं में मैं सिंह हूँ। आश्रम व्यवस्था में मैं चौथा आश्रम अर्थात् संन्यास आश्रम हूँ, और चारों वर्णों में मैं प्रथम वर्ण यानी ब्राह्मण हूँ।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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