श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 11: सामान्य इतिहास  »  अध्याय 15: भगवान् कृष्ण द्वारा योग-सिद्धियों का वर्णन  »  श्लोक 3
 
 
श्लोक  11.15.3 
 
 
श्रीभगवानुवाच
सिद्धयोऽष्टादश प्रोक्ता धारणा योगपारगै: ।
तासामष्टौ मत्प्रधाना दशैव गुणहेतव: ॥ ३ ॥
 
अनुवाद
 
  भगवान जी ने कहा: योग जानने वाले विशेषज्ञों ने घोषित किया है कि योग-सिद्धि और ध्यान के अठारह प्रकार होते हैं। जिनमें आठ मुख्य होते हैं और वे मुझमें ही आश्रित रहते हैं। और दस गौण होते हैं, जो सतोगुण से प्रकट होते हैं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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