श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 11: सामान्य इतिहास  »  अध्याय 15: भगवान् कृष्ण द्वारा योग-सिद्धियों का वर्णन  »  श्लोक 28
 
 
श्लोक  11.15.28 
 
 
मद्भ‍क्त्या शुद्धसत्त्वस्य योगिनो धारणाविद: ।
तस्य त्रैकालिकी बुद्धिर्जन्ममृत्यूपबृंहिता ॥ २८ ॥
 
अनुवाद
 
  मेरे प्रति भक्ति से अपने जीवन को शुद्ध करने वाला और ध्यान की प्रक्रिया को कुशलता से जानने वाला योगी भूत, वर्तमान और भविष्य का ज्ञान प्राप्त करता है। इसलिए वह स्वयं और अन्य लोगों के जन्म और मृत्यु को देख सकता है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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